छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है, एक हिन्दू त्योहार है जो सूर्य देवता, सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है। इसे मुख्य रूप से भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाता है। यह त्योहार बड़े भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और सामान्यत: दीपावली के छह दिनों बाद होता है, हिन्दू पंचांग के कार्तिक मास के छठे दिन।
Chhath Puja 2023 date: छठ पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. 4 दिवसीय छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. इसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते और उससे एक दिन पूर्व डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठ पूजा में पहला दिन नहाय-खाय का होता है, दूसरा दिन लोहंडा और खरना का होता है, तीसरा दिन छठ पूजा और संध्या अर्घ्य का होता है. चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि छठ पूजा कब है? छठ पूजा संध्या अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय क्या है? आइए देखते हैं छठ पूजा 2023 का कैलेंडर.
कब है छठ पूजा 2023?(Chhath Puja kab hai 2023 date)
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि 18 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 09:18 ए एम से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 19 नवंबर दिन रविवार को सुबह 07:23 ए एम पर होगा. उदयातिथि के आधार पर छठ पूजा 19 नवंबर को है, उस दिन छठ पूजा का संध्या अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ (chhath)पूजा का महत्व:
सूर्य देवता की पूजा: छठ पूजा सूर्य देवता, सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है, और इसका उद्देश्य सूर्य द्वारा प्रदत्त ऊर्जा और जीवन शक्ति के लिए कृतज्ञता व्यक्त करना है। भलाई के लिए प्रार्थना: भक्तियाता मानते हैं कि छठ पूजा करने से उनके परिवार को समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु मिलती है।
प्राचीन परंपरा: यह त्योहार प्राचीन रूपों में है और इसे ऋग्वेद में भी उल्लेख किया गया है, जिससे यह हिन्दू त्योहारों में सबसे प्राचीन में से एक है।
रीति और परंपराएं:
नहाई खाई (पहला दिन): भक्तगण एक पवित्र जल स्थल में स्नान करते हैं, और इस दिन से ही वे मुख्य रिटुअल्स की तैयारी करना शुरू करते हैं।
खारना (दूसरा दिन): भक्तगण इस दिन दिनभर उपवास रखते हैं, और शाम में उन्हें सूर्य देवता को भोग चढ़ाने के लिए दूध और चावल से बना खीर और रोटियां बनानी होती हैं।
संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): भक्तगण पानी में खड़े होकर सूर्यास्त को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिससे छठ पूजा का मुख्य दिन होता है।
उषा अर्घ्य (चौथा दिन): इस दिन भी, भक्तगण सूर्योदय को अर्घ्य देते हैं, जिससे उपवास की पूर्णता होती है।
तैयारियां और सजावट:
सफाई और शुद्धि: छठ पूजा से पहले घरों और आस-पास को धूमिल किया जाता है और शुद्धि दी जाती है।
अर्घ्य का आयोजन: भक्तगण छठ घाटों को सजाकर मिट्टी के दीपकों, गन्धराज के फूलों और गन्धराज के साथ सजाते हैं।
2023 में आवश्यकताएं:
पर्यावरणीय चिंताएं: हाल के वर्षों में छठ पूजा के उत्सव के पर्यावरण पर बुरे प्रभाव की चिंता हो रही है, विशेषकर रिटुअल्स में अपैश्वरिक सामग्री का उपयोग के संबंध में।
भीड़ का प्रबंधन: छठ पूजा में बड़े समृद्धि के आस-पास बड़ी भीड़ होती है, इसलिए भक्तों की सुरक्षा और भलाई की सुनिश्चित करना मुख्य चुनौती है।
निष्कर्ष:
छठ पूजा एक पवित्र और जीवंत त्योहार है जिसमें भक्तियाता और भक्ति की गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता है। हालांकि पारंपरिक रिटुअल्स बनाए रखे जाते हैं, वातावरण की संरक्षण के लिए इको-फ्रेंडली उत्सवों की आवश्यकता के बारे में एक बढ़ती हुई जागरूकता है।