प्रतिबंध के बावजूद जिले में पराली जलाने के 20 मामले सामने आए

Spread the love
पराली जलाता किसान
पराली जलाता किसान

प्रतिबंध के बावजूद जिले में पराली जलाने के बीस मामले सामने आए

कुशीनगर: प्रदूषण को रोकने के लिए पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, जिले में इसके बीस मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश मामले जिले के उत्तरी भाग में आए हैं, जहां पराली जलाने की परंपरा अधिक है।पराली जलाने के कारण हर साल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जो लाखों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है।

जिलाधिकारी ने बताया कि उन्होंने इस मामले में तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को जुर्माना किया जाएगा और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पराली जलाना न केवल प्रदूषण बढ़ाता है, बल्कि यह खेतों की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाता है।

जिलाधिकारी ने कहा कि उन्होंने किसानों को पराली जलाने के विकल्पों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को बायो-डिकम्पोजर, हैपी सीडर, स्ट्रॉ बेलर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो पराली को जलाने की जगह उसे उपयोगी चीजों में बदल सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कुल 23 लाख टन का अनुमान लगाया जाता है। सरकारों ने इसे रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने इसके विकल्प पेश किए हैं, उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगाया है, उन्होंने इसे जारी रखने वाले किसानों पर भारी जुर्माना लगाया है और उन्होंने उनमें से कुछ को जेल भी भेजा है। उन्होंने अच्छी आदत को पुरस्कृत करने का भी प्रयास किया है – 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरी राज्यों को हर ऐसे किसान को 2,400 रुपये प्रति एकड़ देने का आदेश दिया था, जिसने पराली नहीं जलाई थी।

लेकिन इन सबके बावजूद, किसानों को पराली जलाने से रोकना आसान नहीं है। कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें पराली जलाने के लिए मजबूरी में करना पड़ता है, क्योंकि उनके पास इसे निपटाने के लिए न तो पर्याप्त समय होता है और न ही पर्याप्त साधन। वे कहते हैं कि सरकार ने उन्हें जो वादा किया था, उसका पालन नहीं किया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कुछ हल यह है कि सरकार और किसानों के बीच एक बेहतर संवाद स्थापित किया जाए, जिसमें किसानों की समस्याओं को सुना और समझा जाए, और उन्हें पराली जलाने के विकल्पों के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाए। इसके साथ ही, सरकार को उन उपकरणों को उपलब्ध कराने के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए, जो पराली को जलाने की जगह उसे उपयोगी चीजों में बदल सकते हैं।

Leave a Comment